SEBI (Securities and Exchange Board of India) ने ब्लॉक डील से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है।सेबी ने 8 अक्टूबर 2025 को एक सर्कुलर जारी कर इन नए Block Deal Framework की घोषणा की । ब्लॉक डील से जुड़े ये नए नियम 60 दिनों बाद यानी 7 दिसंबर 2025 से लागू होंगे । सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया के इस कदम का मकसद बड़े निवेशों में पारदर्शिता, दक्षता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करना।
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क्या है ब्लॉक डील और क्यों जरूरी था बदलाव?
SEBI Block Deal Framework- ब्लॉक डील दरअसल ऐसे बड़े सौदों को कहा जाता है, जहां बड़ी मात्रा में शेयर एक ही बार में खरीदे या बेचे जाते हैं। ये लेन-देन आमतौर पर संस्थागत निवेशक, कॉरपोरेट्स, या हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) के बीच होते हैं। इन डील्स का उद्देश्य होता है कि बड़े निवेश बिना बाजार को प्रभावित किए सुचारू रूप से पूरे हो सकें। लेकिन अब तक के नियमों में पारदर्शिता और समय-संबंधी सीमाओं को लेकर कई चुनौतियां थीं, जिन्हें नए फ्रेमवर्क के ज़रिए दूर करने की कोशिश की गई है।
नए ब्लॉक डील फ्रेमवर्क की मुख्य बातें
1. ट्रेडिंग टाइम और सेशन में बदलाव
सेबी ने अब दो अलग-अलग ब्लॉक डील विंडो तय की हैं। जो की इस प्रकार है-
- सुबह की विंडो: सुबह 8:45 से 9:00 बजे तक, जिसमें पिछले दिन के क्लोजिंग प्राइस को रेफरेंस माना जाएगा।
- दोपहर की विंडो: दोपहर 2:05 से 2:20 बजे तक, जिसमें 1:00 से 2:00 बजे के बीच स्टॉक का VWAP (Volume Weighted Average Price) लिया जाएगा।
2:00 से 2:05 बजे के बीच एक्सचेंज VWAP की गणना कर निवेशकों को उपलब्ध कराएंगे। इससे ट्रेडिंग में पारदर्शिता और उचित मूल्य निर्धारण सुनिश्चित होगा।
2. प्राइस रेंज और ऑर्डर साइज के नए नियम
नए सिस्टम के तहत, ब्लॉक डील का न्यूनतम साइज 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर ₹25 करोड़ तय किया गया है। साथ ही, ऑर्डर की कीमत रेफरेंस प्राइस से ±3% के दायरे में रहनी चाहिए। सबसे अहम बात यह है कि हर ब्लॉक डील में वास्तविक डिलीवरी अनिवार्य होगी। यानी अब कोई भी सौदा स्क्वायर ऑफ या रिवर्स नहीं किया जा सकेगा।
3. पारदर्शिता और जानकारी का खुलासा
निवेशकों के भरोसे को बढ़ाने के लिए सेबी ने निर्देश दिया है कि हर दिन के ब्लॉक डील के विवरण को मार्केट बंद होने के बाद सार्वजनिक किया जाए।
इसमें शामिल होंगे—
- शेयर का नाम
- खरीदार और विक्रेता का नाम
- शेयरों की मात्रा
- डील की कीमत व अन्य जानकारी
इससे बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और बड़े लेन-देन की सटीक जानकारी निवेशकों को समय पर मिलेगी।
4. T+0 सेटलमेंट में भी लागू होंगे नए नियम
SEBI ने साफ किया है कि ब्लॉक डील के ये संशोधित नियम वैकल्पिक T+0 सेटलमेंट साइकिल पर भी लागू होंगे। इससे निवेशकों को तेज़ी से डिलीवरी और पेमेंट की सुविधा मिलेगी।
कब से लागू होंगे ये बदलाव?
सेबी ने स्पष्ट किया है कि सभी स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटरीज़ को इन नियमों को अपनाना होगा और 60 दिनों के भीतर लागू करना होगा। साथ ही, ब्लॉक डील के दौरान जोखिम नियंत्रण और निगरानी तंत्र सामान्य ट्रेडिंग की तरह ही सख्त रहेगा ताकि किसी भी गड़बड़ी की संभावना न रहे।
कानूनी आधार और सेबी की शक्ति
यह सर्कुलर SEBI Act, 1992 की धारा 11(1),
Securities Contracts Regulation, 2018 के रेग्युलेशन 51,
और Depositories Act, 1996 की धारा 26(3) के तहत जारी किया गया है।
इन प्रावधानों के माध्यम से सेबी को निवेशकों के हितों की रक्षा और बाजार में स्थिरता बनाए रखने की कानूनी शक्ति प्राप्त है।

निष्कर्ष
सेबी का यह कदम भारतीय पूंजी बाजार को और अधिक पारदर्शी और निवेशक-अनुकूल बनाने की दिशा में एक अहम बदलाव माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि नए ब्लॉक डील फ्रेमवर्क से न केवल बड़े निवेशकों को लाभ मिलेगा, बल्कि आम निवेशकों का भरोसा भी मजबूत होगा। यह पहल भारतीय बाजार को वैश्विक मानकों के करीब ले जाने का संकेत देती है । जहां पारदर्शिता और निवेशक सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
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